लघु कथा – – हाथ की लकीरें
दिन भर की भाग दौड़ करके भी मेहनत उस के पल्ले नहीं पड़ रही थी। अपनी डिग्रियां सम्भाल कर कितने
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Read More“पच्चीस रुपए प्रति किलो के हिसाब से हफ्ता भर के लिए ही चावल ले आना। घर में एक दाना नहीं
Read Moreसीखने की कोई उम्र नहीं होती. मनुष्य जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत कुछ-न-कुछ सीखता ही रहता है. सीखने के लिए गुरु
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Read Moreपरिवार के लिए पिछले कुछ दिनों से बड़े बाबू गुमसुम से रहने लगे थे। उन्हें एक ही चिंता खाए जा
Read Moreजिंदगी का सफर पिताजी ने हमेशा समझाया कि जब भी यात्रा करो सामान की सुरक्षा के लिए उसे चैन लगाकर
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