लघुकथा – गीला बिस्तर
“ सुनो जी वो बिस्तर पेटी में से टाट वाली गोदड़ी निकाल देना , मांजी के लिए बिछाना है।” नीलू
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Read More“मुरझाये-से क्यों हो गुलाब के पौधे?” चमेली के पौधे ने सहज ही पुछा। ” देखो न मेरी अधखिली कलियाँ भी
Read Moreऊंची-ऊंची इमारतें खूबसूरत बालकनी एवं उच्च मध्यम वर्गीय परिवारों का रहन-सहन सब कुछ कल्पना जी को सपना सा प्रतीत हो
Read Moreएक छोटी सी पहल… जिसने जिंदगी बदल दी रमा और रूचित की बेटी रूचि होनहार, बुध्दिमान विद्यार्थीनी थी प्रशाला की।
Read Moreमाँ तो नहीं रही, लेकिन हाँ माँ के नाम कुछ बीमा था, बैंक बैलेंस भी था, क्योंकि माँ गवर्नमेंट कॉलेज
Read More“प्रिया, मैं शाम को देर से आऊंगा।” ” हम सब मित्र आज फ्रेंडशिप डे मना रहे हैं।” ” मैं भी
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