कहानी : अपना शहर
मुख्य शहर से तनिक दूर परंतु यातायात के साधनों द्वारा अच्छी तरह जुड़ी हुई यह नयी मानव बस्ती शीघ्र ही
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Read Moreपेड़ के बगल ही खड़ी हो पेड़ से प्रगट हुई स्त्री ने पूछा , “अब बताओ इस रूप में ज्यादा
Read Moreपूर्वी दिल्ली का यह सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल था , भीड़ इतनी की लोग ओ.पी. डी में पर्चा बनवाने के
Read Moreपरिवार के सभी सदस्यों के गले में गाय को बांधने वाली रस्सियां डाल दी गई हैं। परिवार की ब्याही बिन
Read More‘ अबे सब चुप हो जाओ ,अद्दू आ रहा है ‘ – चंदू उफ्र चंद्रप्रकाश ने कक्षा की खिड़की से
Read More“अरे जोशीभाई, सुनिए तो सही !” मैंने बगल में बैठे साथी कर्मचारी जनकभाई के सामने प्रश्नार्थ सूचक दृष्टि से देखा
Read Moreरोज की तरह आज भी सुनील डीटीसी बस में आईटीओ स्थित अपने ऑफिस जा रहा था , बस हमेशा की
Read Moreउमाकांत रोज सुबह तीन बजे उठ कर नदी मे स्नान करने जाते थे और आते वक्त ईश्-वंदना करते आते थे
Read Moreसाइलेण्ट लव मुहब्बत नगर में एक अंसू अनजान रहता था. बड़ा दिल था उसका. जिससे भी मिलता बड़ी शिद्दत से
Read More“देख भाई-बहन का हमारा रिश्ता अपनी जगह है, लेकिन मैं कमीशन के पैसे नहीं छोड़ने वाला। तू पहले मेरा कमीशन
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