मनहरण छंद
घर आँगन की कली, प्रेम स्नेह से है पली, दमकेगी दीपज्योति, आलोकित कीजिए।। बोल बोले मीठे-मीठे, अमृत सा रस घोले,
Read Moreदीप माला,पुष्पहार, सजाये बंदनवार, रंगोली में रंग भर, आँगन सजाइये।। दीप अपनी माटी के, प्रेम पगी संस्कृति के, घर-द्वार उजियारा,
Read Moreपहले मंदिर तोरिके, मस्जिद लियो बनायकहीं खुदाई करो तो,हर मुल्ला चिंचियायहर मुल्ला चिंचियाय,कोर्ट पर करो भरोसासंविधान को बार-बार तब किसने
Read Moreदीप माला,पुष्पहार, सजाये बंदनवार, रंगोली में रंग भर, आँगन सजाइये।। दीप अपनी माटी के, प्रेम पगी संस्कृति के, घर-द्वार उजियारा,
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