8 नानाविध क्षणिकाएँ
1. पाश्विक वेदना मछली या दूसरे जीवों को मारकर खाने से बुद्धि अगर विकसित होती, तो तमाम मांसाहार प्राणियों की
Read More1. पाश्विक वेदना मछली या दूसरे जीवों को मारकर खाने से बुद्धि अगर विकसित होती, तो तमाम मांसाहार प्राणियों की
Read More1. मन स्पर्श छूकर मेरे मन को क्या तूने क्या इशारा ? बदला यह मौसम ! क्या सच में या
Read More1. हमसफर ये मेरे हमसफर, दो बदन एक जान ! क्यों जानेजान ? आखिर ऐसा क्यों ? क्यों प्रासंगिक हो
Read More1. घर का भूला जो जहाँ सहज रहे, वहीं अच्छा है….. गुलाम नबी आजाद से त्रस्त और बच्चे तेजस्वी से
Read More1. बुलबुल चहकी सावन आया… बादल छाए… बुलबुल चहकी, फूल खिले, सब आये, तुम कब आओगी ? क्या यह आना
Read More1. चंद्रशेखर आजाद अमर क्रांतिकारी, स्वबलिदानी, स्वतंत्रता सेनानी “चंद्रशेखर आजाद” के जन्मदिवस पर सादर नमन ! इलाहाबाद या प्रयागराज सिर्फ
Read Moreडॉ. सदानंद पॉल की कविताएँ :- 1. बेटी-दामाद की खोज सवर्ण गरीब से लेकर सवर्ण MP, MLA, IAS, IPS द्वारा
Read Moreडॉ. सदानंद पॉल की क्षणिकाएँ :- 1. अमरबेल यादों के सहारे जी लेने दो लाठी के सहारे बढ़ जाने दो
Read Moreसर – आंखों पर बिठाने वाले मेरे अपने… इक दिन,,, चिता पर भी बिठाएंगे युक्तियों से बनाए गए घरौंदे से
Read Moreडॉ. सदानंद पॉल की जनसंख्या नियंत्रण पर कविताएँ 1. जनसंख्या नियंत्रण काहे को भारत में ‘जनसंख्या दिवस’, यहाँ शादी करने
Read More