मिलनी थी पावन आजादी
मिलनी थी पावन आजादी, कुछ लोंगों ने पाप किया, राजा बनने की चाहत में, भारत के संग घात किया। उत्सव
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Read Moreसत्ता की बेचैन कहानी लिखता हूँ, जो मिटा सके इनकी शैतानी लिखता हूँ। हिन्द बाग की कलियों को जो मसल
Read Moreहिम्मत,ताक़त,शौर्य विहंसते,तीन रंग हर्षाये हैं ! सम्प्रभु हम,है राज हमारा,अंतर्मन मुस्काये हैं !! क़ुर्बानी ने नग़मे गाये, आज़ादी का वंदन
Read Moreमन के उद्वेलित सरवर में स्वप्न भाव के नीलकमल हैं नैनों के पृष्ठों पर अंकित अन्तर्मन की एक ग़ज़ल हैं।
Read Moreमाँ रेवा वर दे हमें हमें ज्ञान का प्रकाश दे तुम्हारे आँचल में हम रहे सदा ऐसा हमें वरदान दे
Read Moreभारत भू का बच्चा-बच्चा दीवाना है ढोंगी नेताओं से अपना देश बचाना है शौर्य-वीरता हमारी मजबूत इस्पात समान हम
Read Moreन आगे न पीछे, चलिए, वक्त के साथ साथ। दोस्तों खुद को बदलिए, वक्त के साथ साथ। कभी कभी जीत
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