काव्यमय कथा-13 : मीठी-मीठी बातों से सदा बचो
गीदड़ तीन देख हाथी को, खाने को थे ललचाए, बिना किसी तरकीब के हाथी, बस में कैसे आ पाए? गीदड़
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Read Moreकरते-करते सैर लोमड़ी, एक बाग में जा पहुंची, अंगूरों के गुच्छों वाली, बेलें देखीं कुछ ऊंची. अंगूरों को देख लोमड़ी,
Read Moreएक शेर जंगल में सोया, मीठे सपने देख रहा, चूहा एक शेर के ऊपर, उछल रहा और कूद रहा. पंजे
Read Moreएक दिवस खरगोश महाशय, बोले कछुए राम से, ”बड़े सुस्त तुम कछुए भाई, डरते दौड़ लगाने से. कछुआ बोला, ”डरना
Read Moreएक गुलाम भागकर पहुंचा, एक घने जंगल में, कोई शेर कराह रहा था, जाने क्या था पग में! पैर उठा
Read Moreरोटी एक मिली कौए को, मन में बहुत-बहुत हर्षाया, उसे देखकर एक लोमड़ी, का भी मन था ललचाया. ”कौए भाई,
Read Moreकौआ एक बड़ा प्यासा था, उड़कर पहुंचा एक बाग में, जहां पड़ा था एक घड़ा पर, पानी था थोड़ा-सा उसमें.
Read Moreखेतों में विष भरा हुआ है, ज़हरीले हैं ताल-तलय्या। दाना-दुनका खाने वाली, कैसे बचे यहाँ गौरय्या? अन्न उगाने के लालच
Read Moreशहर चला जब मंगलू भाई, बोले लोग, ”तू है ही लल्लू, काम गधे से क्यों नहीं लेता? थक जाएगा बेटा
Read Moreनीलू-शीलू लगीं झगड़ने, रोटी कौन बड़ी खाएगा? ”बंदर मामा, तुम्हीं बता दो, रोटी कौन बड़ी पाएगा?” छोटी एक तराजू लेकर,
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