उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 55)
50. अंतिम प्रबंध मदुरा, तैलंगाना की विजय के बाद खुशरव शाह वापस देवगिरी पहुँचा। तैलंगाना में उसे वहाँ के सेनापति अनिल
Read More50. अंतिम प्रबंध मदुरा, तैलंगाना की विजय के बाद खुशरव शाह वापस देवगिरी पहुँचा। तैलंगाना में उसे वहाँ के सेनापति अनिल
Read Moreराधा का गोरा मुखमंडल लज्जासे आरक्त हो उठा। मन में असमंजस के भाव उठ रहे थे – एक अपरिचित छोरे
Read More49. भावी सम्राट की भूमिका ‘सुल्ताना देवल, आपको हासिल करके हमें बहुत खुशी मिली है।’ मुबारक शाह देवलदेवी के रूखसारों पर
Read More48. देह विडंबना का पूर्ण प्रतिशोध दो घड़ी रात गए द्वार पर कोलाहल सुन देवलदेवी वस्त्र संभालकर शय्या से उठ गई।
Read More47. स्त्रैण सुल्तान देवगिरी में शाही खेमा लगा है। उस खेमे में सुल्तान मुबारक और वजीर खुशरव शाह मौजूद हैं। देवगिरी
Read Moreकालिया नाग ने श्रीकृष्ण के आदेश का त्वरा से पालन किया। श्रीकृष्ण भी मुस्कुराते हुए अपने स्वजनों के पास लौट
Read More46. अंतिम परियोजना हसन, जिसे सुल्तान मुबारक शाह खिलजी ने खुशरव शाह का खिताब अता किया था, उसके वक्ष से लिपटी
Read More45. हसन और मुबारक मुबारक, अलाउद्दीन का चौथा पुत्र था। अपने से बडे़ तीनों भाइयों की दुर्दशा देखकर उसे बड़ा खौफ
Read More44. अल्प खाँ का हिसाब शाही हरम, शाही दरबार इस समय कुचक्रों का अड्डा बन चुका है। मलिक काफूर के स्वार्थ
Read Moreयमुना के किनारे यमुना के जल की ही एक विशाल झील थी। कोई भी पशु-पक्षी भूले से भी अगर उसका
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