उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 45)
41. महामिलन ‘वह’ उस समय नायबे सल्तनत मलिक काफूर का सहायक था, दक्खन की जंगों में उसने अपनी वीरता से नायबे
Read More41. महामिलन ‘वह’ उस समय नायबे सल्तनत मलिक काफूर का सहायक था, दक्खन की जंगों में उसने अपनी वीरता से नायबे
Read Moreयमलार्जुन के पेड़ कोई पौधे नहीं थे, विशाल वृक्ष थे। उनके गिरने से बिजली चमकने के समय उत्पन्न ध्वनि की
Read Moreमातु यशोदा! अपनी स्मृतियों पर तनिक जोर डालें। श्रीकृष्ण के शिशु-काल की शरारतों को याद कीजिए। क्या कोई सामान्य बालक
Read More40. निष्फलताएँ कई घटनायें दिल्ली सल्तनत और उनसे संघर्ष कर रही रियासतों में घटीं। इन घटनाओं के उपरांत देवलदेवी और
Read Moreछः महीनों में ही श्रीकृष्ण घुटनों के बल मकोइया बन पूरे आंगन में विचरण करने लगे। चलते समय वे किलकारी
Read Moreश्रीकृष्ण ने अवतरण के प्रथम दिवस से ही अपनी अद्भुत बाललीला आरंभ कर दी थी। वे उन्हीं को अधिक
Read More39. षडयंत्र की पहली चिंगारी कामक्रीड़ा से तृप्त बेसुध शहजादे को देवलदेवी ने झिंझोड़कर जगा दिया। शहजादा नींद में पागलों की
Read More“देख रहे हैं आर्य! आज मेरा लल्ला तीन मास और एक पक्ष का हो गया है। अत्यन्त स्वाभाविक रूप से
Read Moreकैसी विडंबना थी – गोकुल में जहां आनन्दोत्सवों की शृंखला थमने का नाम नहीं ले रही थीं, वही मथुरा में
Read More38. स्वधर्म स्थापना हेतु शील बलिदान आहट सुनकर देवलदेवी शय्या से उठकर खड़ी हो गई। कक्ष में शहजादा खिज्र खाँ आ
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