सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 22
धुंध पर कुछ काव्य-रचनाएं 1.चलती रही जिंदगी कभी धुंध के साथ चलती रही जिंदगी, कभी अंधेरे के साये में भी
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Read Moreहा हा हा हा हा हा हा हा हा ही ही ही ही ही ही ही ही ही हू हू
Read Moreजो ‘मांस’ के लिए ‘रो’ पड़े, उसे ‘रोमांस’ कहते हैं ! ×××× पिरावेट की बात छोड़िये, सरकारी टीवी पर “ये
Read Moreभैंस से दोस्ती ठीक है, किन्तु कम जानकार लोगों से दोस्ती भूलकर भी मत कीजिये ! •••• जबतक सवर्ण लचीला
Read Moreहमने आनंद के दीपों को जगमगा दिया है मैं सूरज हूँ कोई मंजर निराला छोड़ जाऊँगा, डूबते हुए भी ढेर
Read More25 जून को आपातकाल पर हो-हल्ला मचाकर हम एक पूर्व प्रधानमंत्री और OBC आरक्षण के पैरोकार के जन्मदिवस को भूल
Read Moreमैंने न शादी किया है और न ही किसी बच्चे का जैविक बाप बना हूँ, इसलिए मेरे को ‘मर्द’ होने
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