घर के भेदी
ये कौन लोग हैं जो मुल्क बेच आते हैं,चंद सिक्कों में ज़मीर सरेआम ले जाते हैं।न बम चले, न बारूद
Read Moreये कौन लोग हैं जो मुल्क बेच आते हैं,चंद सिक्कों में ज़मीर सरेआम ले जाते हैं।न बम चले, न बारूद
Read Moreबाहर से हमला हो तो खून खौले,यहाँ तो घर के भीतर चाकू चले।सैनिक सरहद पे जान दे आया,पीछे से कोई
Read Moreटेक्नोलॉजी का यह दौर,जहाँ रिश्ते सिमटते जा रहे हैं,जहाँ उंगलियों की सरसराहट मेंममता की गर्माहट खो रही है,जहाँ नज़रों की
Read Moreमैंने देखा है,उन पत्तों को,जो आंधी में कांपते हैं,जिनकी जड़ें मिट्टी में हैं,पर मन खुली हवा का सपना देखता है।
Read Moreअभी-अभी यमराज का फोन आयाक्या ये सच है प्रभु! जो मेरे चेले ने बताया?मैंने झुंझलाते हुए कहा –मुझे क्या पता
Read Moreबिना युद्ध के देश ने, मार लिया मैदान। दुश्मन की तो छोड़िए, दुनिया है हैरान।।पता हमें भी तब चला, आँख खुली
Read Moreसुबह-सुबह मित्र यमराज का संदेश आया प्रभु! मेरे मन में आखिर ये विचार क्यों आया? आखिर हम किस पर विश्वास
Read Moreजो संवेदना हीन होते हैं, वे न रो पाते हैं,न उनके भीतर कोई दर्द जागता है,न आंसू की कोई नमी
Read Moreसगे की छाती रौंद कर, मकान खड़ा किया,मिट्टी की दीवारों में अपनों का शोर दबा दिया। वो समझा जीत गया,
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