बाल कहानी : सबक
यशु सुबह उठा। दौड़ते हुए बाथरूम गया। वापस आया। देखा, मम्मी किचन में व्यस्त है। गरम-गरम रोटियाँ सेंक रही है।
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Read Moreशिशिर नदी के किनारे बैठा था। आज उसका मन हमेशा की तरह बहुत विचलित था। थोड़ी देर बाद उसे एक
Read Moreजैसे भी करके नन्हा कुणाल टेबल को सरकाते हुए दीवार तक ले गया। टेबल पर चढ़ा। गौरैये के घोंसले तक
Read Moreमाँ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वाह! मैदान भी हरा–भरा है। एक मुर्गी का बच्चा चीनू उछलते हुए अपनी
Read Moreइस बार सावन महीने में खूब बारिश हुई। लगातार तेरह दिनों तक सूरज के दर्शन नसीब नहीं हुए। अत्यधिक बारिश
Read Moreसावन का आठवाँ दिन था। सुबह की स्वर्णिम धूप बड़ी रमणीय थी। दोपहर होते तक वातावरण उमस हो गया। शाम
Read Moreबांधा तालाब के किनारे एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। मोटे व गठीले तने पर मोटी-मोटी शाखाएँ निकली हुई
Read Moreगरमी का मौसम था दूर जंगल से एक चिड़ा और एक चिरैया उड़ते-उड़ते शहर में आ गए ।शहर आग की
Read Moreजाम-कच्छार से होकर गब्दीनाला बहता था। नाले के किनारे तरह-तरह के बड़े-बड़े वृक्ष थे। हर वृक्ष पर किसी न किसी
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