बाल कहानी – माँ का दर्द
माँ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वाह! मैदान भी हरा–भरा है। एक मुर्गी का बच्चा चीनू उछलते हुए अपनी
Read Moreमाँ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वाह! मैदान भी हरा–भरा है। एक मुर्गी का बच्चा चीनू उछलते हुए अपनी
Read Moreइस बार सावन महीने में खूब बारिश हुई। लगातार तेरह दिनों तक सूरज के दर्शन नसीब नहीं हुए। अत्यधिक बारिश
Read Moreसावन का आठवाँ दिन था। सुबह की स्वर्णिम धूप बड़ी रमणीय थी। दोपहर होते तक वातावरण उमस हो गया। शाम
Read Moreबांधा तालाब के किनारे एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। मोटे व गठीले तने पर मोटी-मोटी शाखाएँ निकली हुई
Read Moreगरमी का मौसम था दूर जंगल से एक चिड़ा और एक चिरैया उड़ते-उड़ते शहर में आ गए ।शहर आग की
Read Moreजाम-कच्छार से होकर गब्दीनाला बहता था। नाले के किनारे तरह-तरह के बड़े-बड़े वृक्ष थे। हर वृक्ष पर किसी न किसी
Read Moreकछुआ और खरगोश नंदनवन में एक खरगोश रहता था। नाम था उसका- चिपकू। चिपकू बहुत घमंडी, बड़बोला तथा चटोरा था।
Read Moreकथनी और करनी में अंतर अजय और संजय दोनों भाई न केवल पढ़ाई-लिखाई और खेलकूद में ही आगे रहते बल्कि
Read Moreरामपुर में रतन अपनी दादी के साथ रहता था। पाँच बरस पहले जब वह सिर्फ सात साल का था, तभी
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