बाल कहानी

आज का श्रवण कुमार

रामपुर में रतन अपनी दादी के साथ रहता था। पाँच बरस पहले जब वह सिर्फ सात साल का था, तभी उसके मम्मी-पापा की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी। दादी माँ ही अब उसके लिए सब कुछ थी।
दादी माँ दूसरों के घर झाडू-पोेंछा कर, उनके कपड़े सिलकर घर चला रही थीं। वह रजत को खूब पढ़ा-लिखाकर एक बड़ा आदमी बनाना चाहती थीं।
रजत अब सातवीं कक्षा में आ गया था। वह खूब मेहनत करता था। हर कक्षा में प्रथम आने के साथ-साथ वह स्कूल में आयोजित खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेता और ईनाम भी पाता।
इस बार वार्षिकोत्सव की तैयारी बड़े जोरों से चल रही थी। अंतिम दिन पुरस्कार वितरण के लिए राज्यपाल महोदय आने वाले थे। उनके सामने ’श्रवण कुमार की भक्ति’ नामक एकांकी का मंचन करना था। इसमें श्रवण कुमार की भूमिका रजत को करनी थी। इसकी अच्छी और पूरी तैयारी हो गई थी। कई बार रिहर्सल भी करवाया गया ताकि कोई कमी न रह जाए।
वार्षिकोत्सव वाले दिन रजत जब सोकर उठा तो देखा कि दादी माँ ठंड से ठिठुर रही हैं और साथ ही साथ कुछ बड़बड़ा रही हैं।
रजत दादी माँ की स्थिति देखकर डर गया। उसे कुछ नहीं सूझ रहा था। वह करे तो क्या करे ? एक तरफ दादी थीं तो दूसरी तरफ स्कूल का वार्षिकोत्सव …..।
उसे क्या करना है, इसका निर्णय लेने में उसे देर नहीं लगा। एक कागज पर प्रधान पाठक महोदय के लिए कुछ पंक्तियाँ लिखकर अपने मित्र महेश के हाथों उसे भिजवा कर पड़ोसियों की मदद से अपनी दादी माँ को अस्पताल ले गया।
रजत को न देखकर प्रधान पाठक महोदय परेशान थे। उन्होंने एक विद्यार्थी को उसके घर भी बुलाने के लिए भेजा। तभी महेश ने आकर उन्हें रजत का वह पत्र थमा दिया। उन्हें सारी बात समझते देर नहीं लगी।
उन्होंने मंच पर आकर कहा- “उपस्थित मुख्य अतिथि जी, गणमान्य नागरिकों और मेरे प्यारे बच्चों, बड़े खेदपूर्वक मुझे कहना पड़ रहा है कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज हम ‘श्रवण कुमार की भक्ति’ नामक एकांकी आपके समक्ष प्रस्तुत नहीं कर पा रहे हैं और मुझे यह बताते हुए अपार खुशी भी हो रही है कि इस एकांकी में श्रवण कुमार की भूमिका अदा करने वाला विद्यार्थी रजत कुमार आज वास्तविक जीवन में श्रवण कुमार की भूमिका निभा रहा है। …..”
सारी स्थिति जानने के बाद कई गणमान्य नागरिक रजत की आर्थिक सहायता के लिए आगे आए। राज्यपाल महोदय ने भी उसको प्रतिमाह दो सौ रूपए छात्रवृत्ति के रूप में देने की घोषणा की।
इस प्रकार रजत की आर्थिक समस्या दूर हो गई। कुछ ही दिनों में दादी माँ स्वस्थ हो गईं।
— डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

*डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

नाम : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा मोबाइल नं. : 09827914888, 07049590888, 09098974888 शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, राजनीति, शिक्षाशास्त्र), बी.एड., एम.लिब. एंड आई.एससी., (सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण), पीएच. डी., यू.जी.सी. नेट, छत्तीसगढ़ टेट लेखन विधा : बालकहानी, बालकविता, लघुकथा, व्यंग्य, समीक्षा, हाइकू, शोधालेख प्रकाशित पुस्तकें : 1.) सर्वोदय छत्तीसगढ़ (2009-10 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 2.) हमारे महापुरुष (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 10-10 प्रति नि: शुल्क वितरित) 3.) प्रो. जयनारायण पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 4.) गजानन माधव मुक्तिबोध - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 5.) वीर हनुमान सिंह - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 6.) शहीद पंकज विक्रम - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 7.) शहीद अरविंद दीक्षित - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 8.) पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 9.) दाऊ महासिंग चंद्राकर - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 10.) गोपालराय मल्ल - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 11.) महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 12.) छत्तीसगढ रत्न (जीवनी) 13.) समकालीन हिन्दी काव्य परिदृश्य और प्रमोद वर्मा की कविताएं (शोधग्रंथ) 14.) छत्तीसगढ के अनमोल रत्न (जीवनी) 15.) चिल्हर (लघुकथा संग्रह) 16.) संस्कारों की पाठशाला (बालकहानी संग्रह) अब तक कुल 16 पुस्तकों का प्रकाशन, 60 से अधिक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन. अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादक मण्डल सदस्य. मेल पता : pradeep.tbc.raipur@gmail.com डाक का पता : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा, विद्योचित/लाईब्रेरियन, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, ब्लाक-बी, ऑफिस काम्प्लेक्स, सेक्टर-24, अटल नगर, नवा रायपुर (छ.ग.) मोबाइल नंबर 9827914888