पुस्तक समीक्षा

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‘मुझे सब याद है’ में समरसता का संदेश

लोकजीवन से खाद–पानी, रस–राग और मिट्टी की सोंधी गंध ग्रहण कर अपनी कथाकृतियों को आकार देनेवाले हिंदी के वरिष्ठ कथाकार

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वीरेन्द्र परमार की पुस्तकों में धड़कता है समग्र पूर्वोत्तर

पूर्वोत्तर भारत का कण-कण जिनकी उपस्थिति का भान कराता है वे हैं दृष्टि, संवेदना और कलम के धनी श्री वीरेन्द्र

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स्त्री के जीवन की संघर्ष गाथा- बेबी हालदार की आत्मकथा “आलो-आंधारि”

स्त्री के जीवन की संघर्ष गाथा जो पुरुष प्रधान समाज मे एक सतायी गई महिला के लिए समाज के लिए

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पुस्तक समीक्षा – अज्ञान से विज्ञान की ओर (भाग – 1)

प्रसिद्ध आलोचक श्री शैलेंद्र चौहान अपने एक आलेख ‘वैज्ञानिक चेतना और साहित्य ‘ में लिखते हैं कि ‘विज्ञान के अविष्कार

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असम में हिंदी के विकास में हिंदीभाषियों का योगदान:लेखक के समर्पण का साक्षी

महाभारत में असम का उल्लेख प्रागज्योतिषपुर के रूप में मिलता है। कालिका पुराण में भी कामरूप–प्रागज्योतिषपुर का वर्णन मिलता है।

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