व्यंग्य : बड़े आदमी
वे इतने बड़े थे-इसलिए कभी भी अपनी बड़ाई आप नहीं करते थे। सदैव मुस्कुराना और कभी-कभार चेहरे पर गंभीरता लगा
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Read Moreराजमार्ग से थोड़ा हटकर खुले मदिरालय प्रांगण में परम विपरीत विचारधारा वाले दल के कर्मठ कार्यकर्ता मिले। दोनों परम मद्यप
Read More‘चोर का भाई गिरहकट’ यह कहावत अब पुरानी हो गयी है। अभी-अभी बिहार से एक नई कहावत चली है- ‘चारा
Read Moreनई दिल्ली। ‘काव्य-दरिया-साहित्यिक-मंच’ के तत्वावधान में एक सरस काव्य संध्या का आयोजन वसुंधरा सेक्टर-9, गाजि़याबाद में जगदीश मीणा की अध्यक्षता
Read Moreबचपन में फिल्मों का बहुत चस्का लग गया था। घर वालों को कुछ झूठ मूठ बता देते, वोह मान जाते
Read Moreवैसे, मूर्खता लेखन-कला टाइप एक बुद्धिमत्ता पूर्ण कृत्य है। तो, मूर्खता अपने आप में एक बुद्धिमत्तापूर्ण कला है। विश्वास मानिए!
Read Moreसुबह सोकर उठा ही था कि मुसद्दी लाल किसी आतंकवादी की तरह घर में घुस आए। आते ही बिना कोई
Read Moreअपने देश में कला की तो कोई कद्र ही नहीं है। आए दिन कोई न कोई ऐसा सरकारी फरमान जारी
Read Moreबड़े भाई लोग, बढ़ रही गरमी पर ऐसा गजब का व्यंग्य मार रहे हैं कि गरमी भी “देखो आगे-आगे होता
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