जो हम दीपक जलाना सीख लेते हैं
हवा में जो हम दीपक जलाना सीख लेते हैं । ग़मों की भीड़ में मुस्कुराना सीख लेते हैं ।। उन्हें
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Read Moreहर नज़र हर निगाह में नमी है, स्नेह की बेहद अपनों में कमी है। हर नजर किसी पर जमी है, कुछ
Read Moreकदम दर कदम चलते रहे छोड गये पाँव अपनी परछाई गुनाह दिमाग करता रहा सहारा पाँव देते रहे छिपने को
Read Moreनियोजित शिक्षक ‘सरकारी सेवक’ नहीं; उसे न पेंशन, न भविष्यनिधि प्राप्त है, तो सरकारी स्कूल रखने का क्या फ़ायदा ?
Read More15 अक्टूबर 2019 को मेरे द्वारा लिखी गई सरकारी स्तर की अकादमिक और प्रतियोगी परीक्षाओं की संख्या 526 हो गई,
Read Moreअब यह जरूरी है, भारतीय रेलवे का निजीकरण हो जाय, अन्यथा कटिहार-तेजनारायणपुर बीच बिना टिकट यात्री व TTE साथ-साथ ताश
Read Moreशुभ विजयादशमी! प्रतिमा गढ़नेवाले ‘कुम्हार’ को भी शुभो, किन्तु ‘अहं’ को जलाकर, बार-बार 3 पुरुषों (रावण, कुम्भकर्ण, मेघनाद) को ही
Read Moreक्या ‘वकील’ उस्तरे होते हैं, जिनकी एक धार ‘वादी’ को मुड़ने के लिए होती है, तो दूसरी धार ‘प्रतिवादी’ को
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