कविता

गीतिका/ग़ज़ल

नेताओं के दंश…

नेताओं के दंश, बड़े विध्वंसक हैं. आएंगे बनके रक्षक, पर भक्षक हैं. इनकी सिर्फ कथनी-करनी ही नहीं, ये मानव हैं,

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कविता

सियासी हिंदुस्तान

हर पल, हर घड़ी घुट-घुटकर जीते लोग यहाँ। सूखा, बाढ़, भुखमरी से हर साल जूझते लोग यहाँ। देश की बेटियों

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