पैरों में लगी महावर आज
बसंत भी आ धमका, दल बल के साथ। सुरभित पवन भी , दे रहा उसका साथ।। अवनि आज पीत
Read Moreबसंत भी आ धमका, दल बल के साथ। सुरभित पवन भी , दे रहा उसका साथ।। अवनि आज पीत
Read Moreलगा माघ शीत अति भारी, कैसे बिताऊँ ठंढ अनियारी। हाड़ कांपै अग्नी सीरी, कोहरे की अब दादागीरी। शीत मीत
Read Moreहे! नववर्ष क्या साथ लाए हो अपने? ढ़ेरों खुशियाँ उपहार, उमंग, अच्छाइयाँ, गर नहीं तो मैं नहीं कहूँगा नववर्ष न
Read Moreरजनी साथ रहे उडगन। न अब रजनी न अब उडगन।। बीती विभावरी छाई मुस्कान। खग कुल की है मीठी तान।।
Read Moreराणा ने खाई घास की रोटियाँ, शैया जिनकी कंकड़ पर। अरावली की पहाड़ियाँ भी, राणा संग हो गई अमर।। अकबर
Read Moreअपनी सत्ता बचाने को, विद्रोह का डर मिटाने को, उठती आवाजें दबाने को हुआ था जलियांवाला बाग। कोई न बच
Read Moreबारिश की बौछार बारिश की बूंदे जब धरती से मिल जाती हैं तवे सी गर्म धरती पर तब सुकून की
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