सैलाब
लेखक उग्र की नई किताब सैलाब के लिए उन्हें सम्मानित किया जा रहा था. सभी तरफ उसकी तारीफ कर रहे
Read Moreसंदीप स्वयं को आधुनिक मानता था. उसका कहना था कि जैसा ज़माना हो उसके अनुसार ही चलना चाहिए. ज़माने के
Read Moreबसेसर कुछ देर अपने आराध्य कान्हा जी के भजन गाने के इरादे से ढोलक लेकर बैठा ही था कि किसी
Read Moreबाबूजी अपना चश्मा ढूंढ़ रहे थे. उन्होंने नौकरानी से पूंछा तो वह हंसते हुए बोली “यह क्या आपके गले में
Read Moreगरीब ! कहने को तो सबहि होते है,पर वास्तविक गरीब मन से हार मान लेने वाला ही होता है । अगर
Read Moreप्रिया ने मुझसे पूछा ये BHMB क्या होता है। मैने गौर से प्रिया को देखकर कहा ‘नहीं जानता।’ मेरा जवाब
Read Moreबहुत खूबसूरत थी वो लड़कपन में। लड़कपन में तो सभी खूबसूरत होते है। क्या लड़के , क्या लड़कियां। पर वो कुछ
Read Moreगिरिधर बाबू के यहाँ पँचायत बैठी थी। उनके और उनके भाइयों के बीच पैतृक संपत्ति के बँटवारे का फैसला होना
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