कुण्डलिया

कुण्डली/छंद

कुण्डलियाँ

(बृजभाषा में प्रथम प्रयास) गाड़ी लाडी और की, मन कूँ सदा लुभाय चाहे चोखी आपनी, पर  मन  मानत नाय पर 

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कुण्डली/छंद

कुण्डलिया

(१) कान्हा  तेरा  नाम  सुन, मन  में  नाचे  मोर ।तेरे  सुमिरन  मात्र  से, होय   सुहानी    भोर ।।होय  सुहानी

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