गीतिका : ये कैसा तंत्र
कैसी सोच अपनी है किधर हम जा रहे यारो गर कोई देखना चाहे बतन मेरे वह आ जाये तिजोरी में
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Read Moreजुदा हो करके के तुमसे अब ,तुम्हारी याद आती है मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है कहूं
Read Moreकिसी के दिल में चुपके से रह लेना तो जायज है मगर आने से पहले कुछ इशारे भी किये होते
Read Moreवह हर बात को मेरी क्यों दबाने लगते हैं जब हकीकत हम उनको समझाने लगते हैं जिस गलती पर हमको
Read Moreगज़ल (ये कैसा परिवार) मेरे जिस टुकड़े को दो पल की दूरी बहुत सताती थी जीवन के चौथेपन में अब
Read Moreहम सबको तुम छोड़ चले प्रिय मित्रो मुझे बताते हुए बहुत दुःख हो रहा है कि मेरे पिताजी का स्वर्गबास
Read Moreवक़्त की रफ़्तार का कुछ भी भरोसा है नहीं कल तलक था जो सुहाना कल वही विकराल हो इस तरह
Read Moreबदलते वक्त में मुझको दिखे बदले हुए चेहरे माँ का एक सा चेहरा, मेरे मन में पसर जाता नहीं देखा
Read Moreवक्त कब किसका हुआ जो अब मेरा होगा बुरे बक्त को जानकर सब्र किया मैनें किसी को चाहतें रहना कोई
Read Moreआज यानि शुक्रबार दिनांक नवम्बर छह दो हज़ार पंद्रह ,आज के तीन दिन बाद को पुरे भारत बर्ष में धनतेरस
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