गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : माँ का एक सा चेहरा

बदलते वक्त में मुझको दिखे बदले हुए चेहरे
माँ का एक सा चेहरा, मेरे मन में पसर जाता

नहीं देखा खुदा को है ना ईश्वर से मिला हूँ मैं
मुझे माँ के ही चेहरे मेँ खुदा यारो नजर आता

मुश्किल से निकल आता, करता याद जब माँ को
माँ कितनी दूर हो फ़िर भी दुआओं में असर आता

उम्र गुज़री, जहाँ देखा, लिया है स्वाद बहुतेरा
माँ के हाथ का खाना ही मेरे मन में उतर पाता

खुदा तो आ नहीं सकता, हर किसी के बचपन में
माँ की पूज ममता से अपना ये जीवन संवर जाता

जो माँ की कद्र ना करते, नहीं अहसास उनको है
क्या खोया है जीवन में, समय उनका ठहर जाता

— मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: madansbrac@gmail.com ,madansbarc@ymail.com

2 thoughts on “ग़ज़ल : माँ का एक सा चेहरा

  • प्रदीप कुमार तिवारी

    sunder ati sunder bhai……….

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी गजल !

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