ग़ज़ल(खुदा जैसा ही वह होगा)
ग़ज़ल(खुदा जैसा ही वह होगा) वक़्त की साजिश समझ कर, सब्र करना सीखियें दर्द से ग़मगीन वक़्त यूँ ही गुजर
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Read Moreजुमले , जनता और जनतंत्र शैतान ब्रह्मपिशाच आरक्षण जातिवाद चारा चोर नर भक्षी डी एन ए जैसे जुमलों के बीच
Read Moreग़ज़ल (जब चर्चा में रहे कोई) वक़्त की साजिश नहीं तो और क्या बोले इसे पलकों में सजे सपने ,जब
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Read Moreग़ज़ल ( कैसे कैसे रँग) कभी अपनों से अनबन है कभी गैरों से अपनापन दिखाए कैसे कैसे रँग मुझे अब
Read Moreग़ज़ल (माँ का एक सा चेहरा) बदलते बक्त में मुझको दिखे बदले हुए चेहरे माँ का एक सा चेहरा ,
Read Moreमेरे जिस टुकड़े को दो पल की दूरी बहुत सताती थी जीवन के चौथेपन में अब ,बह सात समन्दर पार
Read Moreग़ज़ल (इशारे) किसी के दिल में चुपके से रह लेना तो जायज है मगर आने से पहले कुछ इशारे भी
Read Moreसुबह हुयी और बोर हो गए जीवन में अब सार नहीं है रिश्तें अपना मूल्य खो रहे अपनों में
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