ग़ज़ल (सपने खूब मचलते देखे)
सपनीली दुनियाँ मेँ यारो सपने खूब मचलते देखे रंग बदलती दूनियाँ देखी, खुद को रंग बदलते देखा सुविधाभोगी को तो
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