एक वामपंथी की कलम
उसे सरोकार नहीं होता कश्मीर में बेघर हुए हिन्दुओ के दर्द से वो तो बस छटपटाती है अफज़ल के नाम
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Read Moreमैने किया था इश्क़ कबूल करता करता हूँ मै मैने भी तोड़े थे चाँद तारे तेरे लिए ख्यालो में ही
Read Moreजसिरापुर और नसिरापुर दो गावं. इन दोनों गावं को विभाजित करके बहती हुई कल्याणी नदी. रात को जब इन गावों
Read Moreपूरा गांव उन्हें दीवाना, वहशी और पागल कहता था। पर न जाने क्यों मेरा मन कहता था युसूफ चच्चा ऐसे
Read Moreवक़्त ने मेरी बाह थाम कर मेरी हथेली पर अश्क के दो कतरे बिखेर दिए मेरे सवाल पर बोला ये
Read Moreछोटू चाय की केतली और प्लास्टिक का गिलास लिए लाज की पहली मंजिल के कमरा नंबर 102 का दरवाज़ा खटखटाता
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