याचक
मास्टर सोमनाथ अपने शिष्य विमल के बंगले में बैठे उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। नौकर ने चाय रखते हुए बताया
Read Moreघर के आँगन में एक नन्ही सी लड़की किलकारियां मार रही थी. ठुमक ठुमक कर पूरे आँगन में घूम रही थी. अचानक ही प्रश्न भरी निगाहों से देखते हुए बोली ” ऐसा क्यों कर रही हो ? क्या मैं तुम्हारा अंश नहीं ? मुझे भी तो तुमने अपने रक्त से सींचा है . तो फिर क्यों ? सिर्फ इसलिए की मैं एक लड़की हूँ.” वसुधा की आँख खुल गयी. पसीने से पूरी तरह भीगी हुई थी. कुछ देर तक बिस्तर में बैठी सपने के बारे में सोंचती रही.फिर ताज़ी हवा खाने बालकनी में आ गयी. चिड़ियाँ चह चहा रही थीं . आसमान में एक रक्तिम लकीर जल्द ही सवेरा होने की सूचना दे रही थी. किन्तु उसके मन में निर्णय का सूर्य निकल आया था वह अपनी बच्ची को जन्म देगी.
Read Moreदफ्तर से निकल कर निखिल टहलते हुए बस स्टैंड की तरफ चल दिया। बस के आने में अभी समय था।
Read Moreरश्मि सारा काम निपटा कर अपनी किताब लेकर बैठ गई. कुछ ही दिनों में बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं आरंभ होने
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