गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 15/06/201515/06/2015 ग़ज़ल (ज़माने की हकीकत), मदन मोहन सक्सेना ग़ज़ल : ज़माने की हकीकत दुनिया में जिधर देखो हजारों रास्ते दिखते मंजिल जिनसे मिल जाए वे रास्ते नहीं मिलते किस को गैर कह Read More