ग़ज़ल (ज़माने की हकीकत)

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : ज़माने की हकीकत

  दुनिया में जिधर देखो हजारों रास्ते दिखते मंजिल जिनसे मिल जाए वे रास्ते नहीं मिलते किस को गैर कह

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