बसंत
इस बाबरे मन की कहानी सुनो बोला यह आंख खुली क्यों आधी रात को. कोन ख़्वाब में आया आधी रात
Read Moreआज जब कपड़ों के लिए wardrobe खोला तो वहां मुझे कुछ भीगा भीगा सा लगा. मैं सोचने लगा कि wardrobe
Read Moreचाय सदा बहार पेय है बच्चे बूढ़े और जवान सब को चस्का चाय का काली,निबू वाली फिर हो चाय दूध
Read Moreउम्र तो है आंकड़ों का खेल अभी हूं जवां मैं तन से मैं थका नहीं मन से थका नहीं थकना
Read Moreमैं पिता हूं अपने बच्चें से प्यार करता हूं वो बड़ा हो गया है अपने भविष्य के लिए शहर से
Read Moreजीवन रंज और खुशियों का मिला जुला रूप है. कभी खुशियां है तो कभी गम. जीवन में सावन भी है
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