कविता

कविता : रहो देखते यू.पी. वालो…

यह कविता मैंने उत्तर प्रदेश के २०१२ के विधानसभा चुनावों के परिणामों के तुरंत बाद लिखी थी. इसमें मैंने उ.प्र. का दिवाला पिटने की सम्भावना जताई थी. यह कविता ‘युवा सुघोष’ के मई-जून २०१२ के अंक में छापी गयी है. इसे पढ़कर देखिये और आज की स्थितियों की तुलना कीजिये कि मेरी वह आशंका कितनी सत्य सिद्ध हुई है.

इस चुनाव में यूपी की जनता ने यह क्या कर डाला?
लोकतंत्र की पुस्तक में एक पन्ना जोड़ दिया काला।
आसमान से गिरे और जैसे खजूर में जा अटके;
शासन सौंप दिया उसको जो है गुंडा देखा-भाला।।

बेटे को करके आगे लूटी चुनाव में जय माला,
5 वर्ष तक गाँव-गाँव में जिसने गुंडों को पाला।
छाँट-छाँटकर उसने गुंडों को मंत्री पद बाँट दिये,
कुर्सी पर है भारत माता को डायन कहने वाला।।

जिसने निहत्थे रामभक्तों को गोली से मरवा डाला,
चौराहे पर माँ-बहनों की इज्जत पर डाका डाला।
जिसके रहने से खतरे में रहे धर्म और प्राण सदा,
वही बना है आज यहाँ देखो प्रदेश का रखवाला।।

जिसने प्रदेश को जमकर लूटा औ’ कंगाल बना डाला
नया मुखौटा पहन आ गया बनकर सबका रखवाला।
जनता ने जो पाप किया है उसका फल भुगतेगी ही,
रहो देखते यू.पी. वालो जल्द पिटेगा दीवाला।।

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]