खट्ठा-मीठा : ‘यादव’ सिंह ‘जाटव’
वे यादव भी हैं और जाटव भी। एक ही व्यक्ति में ये दो महान् योग्यतायें होना एक दुर्लभ बात है। इसलिए उनको मुलायम सिंह का भी प्यार मिला है और मायावती का भी। दो परस्पर विरोधियों का समान स्नेह पाना भी एक दुर्लभ गुण है और महापुरुष होने का लक्षण है। वे महानता के नायाब नमूने हैं। उनके लिए भारत रत्न और नोबल पुरस्कार भी तुच्छ हैं। सामाजिक समरसता के पुरोधा होने के नाते उनको ‘विश्व रत्न’ जैसी उपाधि दी जानी चाहिए।
वे समान रूप से हाथी पर भी सवारी कर लेते हैं और साइकिल पर भी। हिन्दी फिल्मों के हीरो की तरह वे सभी प्रकार के वाहन चलाने में सिद्ध हस्त हैं, इसलिए उनको महानायक माना जाना चाहिए। उनको इस कार्य के लिए गिनीज बुक आॅफ रिकार्ड में स्थान दिया जाना चाहिए।
सरकारी पार्टी बदलने पर भी उनकी सरकार निष्ठा में कोई अन्तर नहीं आता। इसलिए वे आदर्श सरकारी अधिकारी हैं जो राजनैतिक दलों के प्रति नहीं बल्कि अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा रखते हैं। वे जातिवाद के घोर विरोधी हैं, इसलिए सभी जातियों के लोगों के सहअस्तित्व पर विश्वास रखते हैं।
वे एक श्रेष्ठ इंजीनियर भी हैं। भले ही उनकी डिग्री जाली हो या नकल करके प्राप्त हुई हो। पर
उनकी बनायी हुई मशीन के पुर्जे इतने मजबूत हैं कि सरकारें बदल जाने पर भी उसी दक्षता के साथ कार्य करते रहते हैं। ऐसी मशीनें आजकल कहां मिलती हैं?
वे ईमानदारी की भी अपनी मिसाल आप हैं। रिश्वत और कमीशन से कमाये गये पैसे को वे पूरी ईमानदारी से अपने आकाओं और मातहतों में बांटते रहे हैं। इसी ईमानदारी के कारण वे सबके चहेते बने और आज तक बने हुए हैं।
इतने गुणों के भंडार इस महामानव को हमारा प्रणाम !
असली चेहरा या नकली चेहरा , जनता इसी उधेड़ बुन में पांच साल सोचती रहती है , और फिर नकली चेहरे चुनाव के बाद हँसते हैं .
हा….हा….हा…. करारा व्यंग्य !