बेटियों आगे बढ़ो/गज़ल
बेटियों आगे बढ़ो
हक़ से हर अधिकार पाने, बेटियों आगे बढ़ो।
स्वप्न पूरे कर दिखाने, बेटियों आगे बढ़ो।
चाहे मावस रात हो, जुगनू सितारे हों न हों
ज्योत बनकर जगमगाने, बेटियों आगे बढ़ो।
सिर तुम्हारा ना झुके, अन्याय के आगे कभी
न्याय का डंका बजाने, बेटियों आगे बढ़ो।
ज्ञान के विस्तृत फ़लक पर, करके अपने दस्तखत
विश्व में सम्मान पाने, बेटियों आगे बढ़ो।
तुम सबल हो, बाँध लो यह बात अपनी गाँठ में
क्यों सुनो अबला का ताने, बेटियों आगे बढ़ो।
रूढ़ियों की रीढ़ तोड़ो, बेड़ियाँ सब काट कर
दिलजलों के बुत जलाने, बेटियों आगे बढ़ो।
देखना सरकें नहीं वे, सर्प जो तुमको डसें
विषधरों को विष पिलाने, बेटियों आगे बढ़ो।
सीख लो गुर निज सुरक्षा के, सदा रहना सजग
दंभ को दर्पण दिखाने, बेटियों आगे बढ़ो।
गर्भ में ही फिर तुम्हारा, अंश ना हो अस्तमित
“कल्पना” खुद को बचाने, बेटियों आगे बढ़ो।
-कल्पना रामानी
बहुत ही प्रेरक रचना आदरणीया सुश्री कल्पना रामानी जी, वाह और वाह