ग़ज़ल : हम गुल नहीं गुलदान के तो क्या हुआ
हम गुल नहीं गुलदान के तो क्या हुआ। चर्चे नहीं सम्मान के तो क्या हुआ॥ हम अपने घरौंदे के बादशाह
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Read Moreहम नेकियाँ करके भी गुनहग़ार हो गये। करते रहे दगा वो फिर भी प्यार हो गये॥ बनाते हैं रिश्ते अब
Read Moreआज जो कदम मैं उठाने जा रही हूँ शायद उसके पीछे अपने पापा के लिए बचपन से दबे मेरे रोष
Read Moreमनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है। उसमें भी नारी को उसने भिन्न आकार, रूप और दायित्व प्रदान कर उनका स्थान
Read Moreसादर शुभ प्रभात मित्रों, आज विश्व महिला दिवस पर मंच की सभी महिला मित्रों को सादर प्रणाम, महिला शक्ति को
Read Moreप्राणों में ताप भर दे वो राग लिख रहा हूँ मैं प्यार के सरोवर में आग लिख रहा हूँ। मेरी
Read Moreभारत एक प्रगतिशील राष्ट्र है। प्रगतिशील राष्ट्र है तो यहाँ बाधाएँ, ऊँच-नीचता और लैंगिक भेदभाव सहज ही होता है। इसका
Read Moreये क्या तरल है जो मेरे फेफड़ों के अंदर-बाहर बना हरकारा है तुम्हारी चाह की साँसे हैं फेफड़ो में धधकती
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