मुहब्बत है मेरा पैगाम….
मुहब्बत है मेरा पैगाम
मुहब्बत लिखना मेरा काम॥
धडकता हूँ धडकन बनकर
मैं सबके दिल में रहता हूँ
समझता हूँ अहसासों को
लहु बन रग में बहता हूँ
प्रीत हूँ मीराबाई की,
कभी मैं बनता राधे श्याम…..
मुहब्बत है मेरा पैगाम…..
गुजर का आग दरिया से
ख़िजाओ में भी पलता हूँ
वफा ताकत वफा हिम्मत
आँधियों मे भी जलता हूँ
पला हूँ उतना ही ज्यादा,
किया मुझको जितना बदनाम….
मुहब्बत है मेरा पैगाम……
इबादत लगती है मुझको
मुहब्बत जब जब लिखता हूँ
ये कद उतना बढ जाता है
मै जितना ज्यादा झुकता हूँ
प्यार मुझको रब लगता है,
प्यार मे मुझको दिखते राम….
मुहब्बत है मेरा पैगाम…….
प्यार नेमत है कुदरत की
इश्क तो रूप खुदा का है
इबादत है ये तो रब की
वफा का रूप जुदा सा है
प्रेम मानता की रीति
प्रीत है जैसे चारो धाम….
मुहब्बत है मेरा पैगाम…….
सतीश बंसल
बहुत खूब !