बाल कविता

रसगुल्ला तो बस है मेरा

बंगाल और ओडिशा लड़ रहे लड़ाई,
एक कहे रसगुल्ला मेरा है,
दूजा कहे तेरा कैसे हो गया,
जा परे रसगुल्ला मेरा है,
क्यों करते आपस में लड़ाई!
कोर्ट में जा करते हो हंसाई!
व्यर्थ में पैसा खर्च हो रहा,
समय सभी का नष्ट हो रहा,
दावे यहीं धरे रह जाएं,
आओ झगड़े को निपटाएं,
रसगुल्ला इसका ना उसका,
रसगुल्ला तो बस है मेरा.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

9 thoughts on “रसगुल्ला तो बस है मेरा

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    बहन जी प्रणाम बहुत सुंदर सृजन

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    बहन जी प्रणाम बहुत सुंदर सृजन

  • विजय कुमार सिंघल

    हा हा हा हा ! सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठा !

    • लीला तिवानी

      अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच सिंधु की उपलब्धि का श्रेय लेने की होड़ चल रही है। दोनों ही राज्यों ने सिंधु को अपना बताते हुए उन पर इनामों की बरसात कर दी, जो अब भी जारी है। इस खींचतान के बाद सिंधु की मां और उनके कोच गोपीचंद ने कहा कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की बेटी होने से पहले सिंधु भारत की बेटी हैं और उन्हें एक भारतीय के तौर पर देखा जाना चाहिए।

    • लीला तिवानी

      अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच सिंधु की उपलब्धि का श्रेय लेने की होड़ चल रही है। दोनों ही राज्यों ने सिंधु को अपना बताते हुए उन पर इनामों की बरसात कर दी, जो अब भी जारी है। इस खींचतान के बाद सिंधु की मां और उनके कोच गोपीचंद ने कहा कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की बेटी होने से पहले सिंधु भारत की बेटी हैं और उन्हें एक भारतीय के तौर पर देखा जाना चाहिए।

  • राजकुमार कांदु

    क्या खूब रची आपने बस मजा आ गया ।
    दो बिल्लियों के बिच रार याद आ गया ।
    बन्दर ने किया तभी वो उनका फैसला ‘
    और थोड़ी थोड़ी करके सारा खुद ही खा गया ।।
    श्रद्धेय बहनजी ! बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो पढ़कर मुझे बिल्ली की कहानी याद आ गयी । अभी अभी एक कविता पूरी किया था और आपकी यह कविता पढ़ने को मिली सो उसी रौ में प्रतिक्रिया लिख दी । धन्यवाद !

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकुमार भाई जी, हमें भी इसी कहानी की याद आ गई थी. आज का ब्लॉग इसी पर केंद्रित होने की संभावना है. एक काव्यमय, अप्रतिम, सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हा हा ,जितने पैसे कोर्टों में खराब करने हैं, उन पैसों के रस्गुले गरीबों को खिला दें तो बेहतर होगा .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, क्या ग़ज़ब की बात कही है! एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

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