मुक्तक/दोहा

इरादे फौलादी हैं

इरादे फौलादी है मुट्ठी में तूफान रखते है
गगन से ऊँची अपनी हस्ती है सम्मान रखते है
बहेगा खून का अंतिम कतरा भी देश की खातिर
तिरंगा है नज़र में दिल में हिन्दुस्तान रखते है॥

उठी आँखें जो दामन पर वो आँखें फोड देगें माँ
उठेे जो हाथ दामन पर उन्हें हम तोड देगे माँ
झुकायेगा हमारा सर कोई क्या इस जमाने में
अगर तूफान भी आया रुख उसका मोड देगें माँ॥

तेरे सम्मान से प्यारा ये जीवन हो नही सकता
अगर माँ हो परेशां तो फिर बेटा सो नही सकता
हमारा तन हमारा मन ये जीवन तुझसे है ऐ माँ
तेरी ममता से प्यारा दुनियाँ में कुछ हो नही सकता॥

जरुरत गर पडी तो जीवन तुझ पर वार देगें माँ
करेगा जो गद्दारी उसको जग से तार देगें माँ
छुआ दामन किसी ने गर तेरा नापाक हाथों से
उसी पल सर हम उसका धड से अलग उतार देगें माँ॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

One thought on “इरादे फौलादी हैं

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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