गीत/नवगीत

मुहब्बत है मेरा पैगाम….

मुहब्बत है मेरा पैगाम
मुहब्बत लिखना मेरा काम॥

धडकता हूँ धडकन बनकर
मैं सबके दिल में रहता हूँ
समझता हूँ अहसासों को
लहु बन रग में बहता हूँ
प्रीत हूँ मीराबाई की,
कभी मैं बनता राधे श्याम…..
मुहब्बत है मेरा पैगाम…..

गुजर का आग दरिया से
ख़िजाओ में भी पलता हूँ
वफा ताकत वफा हिम्मत
आँधियों मे भी जलता हूँ
पला हूँ उतना ही ज्यादा,
किया मुझको जितना बदनाम….
मुहब्बत है मेरा पैगाम……

इबादत लगती है मुझको
मुहब्बत जब जब लिखता हूँ
ये कद उतना बढ जाता है
मै जितना ज्यादा झुकता हूँ
प्यार मुझको रब लगता है,
प्यार मे मुझको दिखते राम….
मुहब्बत है मेरा पैगाम…….

प्यार नेमत है कुदरत की
इश्क तो रूप खुदा का है
इबादत है ये तो रब की
वफा का रूप जुदा सा है
प्रेम मानता की रीति
प्रीत है जैसे चारो धाम….
मुहब्बत है मेरा पैगाम…….

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

One thought on “मुहब्बत है मेरा पैगाम….

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

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