लगाकर दिल किसी से यूँ
लगा कर दिल किसी से यूँ मुकर जाना नही अच्छा।
किसी को प्यार में इतना भी तडपाना नही अच्छा॥
किसी के दिल में रहते हो किसी से दिल लगाते हो।
मुहब्बत में किसी का दिल युँ तडपाना नही अच्छा॥
गुजरते वक्त में यूँ तो गुजर जाती हैं बाते भी।
मगर इस वक्त का यूँ ही गुजर जाना नही अच्छा॥
चलो इतना कहो तुमको मुहब्बत ही नहीं हम से।
मुहब्बत है तो फिर उसको युँ झुठलाना नही अच्छा॥
बसे हो तुम मेरे दिल में बिछुड जाओगे तुम कैसे।
लगा कर दिल से दिल दिलवर ग़ज़ब ढाना नही अच्छा॥
घनी इस धुंध में दिल की शमा रोशन ही रहने दो॥
सदा दे कर मुहब्बत में युँ छुप जाना नही अच्छा॥
किया तुमने अगर वादा निभाना सीखिये बंसल।
वफा की राह में वादों से फिर जाना नही अच्छा॥
सतीश बंसल