Month: August 2016

पद्य साहित्य

तब-तक जिन्दगी यूँ ही इस दुनिया में भटकती रह जायेगी।

तब-तक जिन्दगी यूँ ही इस दुनिया में भटकती रह जायेगी। जब-तक अधिकारी अपने अधिकार को समझ नहीं पायेगे। किसी की

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