लघुकथा : पश्चाताप
“तुम ! तुम्हे…. तुम्हे यहाँ का पता किसने दिया ?” आज महीनो बाद अपनी दहलीज पर कासिम को देखते ही
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Read More122 122 122 122 मेरे दर्दे गम की कहानी न पूछो । मुहब्बत की कोई निशानी न
Read Moreकान्हा के किरदार का कोई और न छोर, इक पल वो जगदीश हैं, इक पल माखनचोर… जब भी अंधेरा गहराता
Read Moreवही बसा है दिल में मेरे, उससे बनी कहानी है। दिल की वो धड़कन है मेरी साँसें भी बेगानी है।।
Read Moreताटंक छंद- वन को जाते बन सन्यासी, राम लखन अरु माँ सीता । तीनों के बिन देखो कैसा, अवध लगे
Read Moreजनक नन्दीनी समझ न पायी, भाग्य लिखा जो लेख था । जीवन मे वनवास लिखा था, ये ह्रदय चाहे नेक
Read Moreतेरे लिए ये गीत है । लिखती तुझे मन मीत है । बस प्रेम की आहें सुनी। राहे कठिन ये
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