संसद के दोनों सदनों में
संसद के दोनों सदनों में,
नेता चुन-चुन कर पहुंचे जो।
हो ह्रदय हीन स्वार्थी सारे,
कमियां औरों की गिनते हैं।।
पेपर फाड़े, कुर्सी तोडे,
भाषा कि हद सब पार करें,
चिल्लम चिल्ली पों – पों में,
अध्यक्ष निसहाय सा रहता है।।
बाहर जनता उम्मीद लिए,
संसद को लखती है इकटक।
पर सत्ता और विपक्ष के द्वारा,
मिलता सदा छलावा है।।
मैं कह दूँ विपक्ष है गंदा,
जो कि सच में गंदा है।
सत्ता समझेगी जय उसकी,
जो स्वच्छ नहीं खुद गंदा है।।
चलो हुआ कुछ अच्छा हिंद में,
काले धन पर वार हुआ।
काले धन वाले नेता नें,
इसका ही प्रतिकार किया।
लगा रहे हर वो जुगाड़,
धन काला जिससे स्वच्छ बने।
जनता का दुःख बाटने वाले,
हक जनता का ही मार रहे।।
बैंक कि चौखट नहीं गए,
पर नए नोट कि कमी नहीं।
हमदर्द हमारे सारे नेता,
हमको ये विधि बतलाते नहीं।।
बेटी की शादी कैसे हो,
चिंता में कुछ ने प्राण गवाया।
सत्ता और विपक्ष दोनों ने,
अरबों का जश्न मनाया।।
आम आदमी लगा हुआ है,
दाल रोटी चल जाए कैसे।
क्रिया कर्म और कार्यक्रम तो,
कोई ना ढंग से कर पाया है।।
पूँछ रहा हूँ मैं प्रदीप,
संग काम नहीं कर सकते क्यूँ।
कमजोर कड़ी की ताकत बन,
साथ नहीं चल सकते क्यूँ।।
।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761