काव्यमय कथा-2 : स्वामिभक्त कुत्ता
भौं-भौं भौंका शेरू कुत्ता,
रामचंद्र नहीं जाग सका,
गठरी बांध चोर ले भागा,
शेरू फिर भी नहीं रुका.
गठरी एक गड्ढे में रखकर,
चोर चल दिया और कहीं,
शेरू ने निशान बनाए,
अपने पंजे गाड़ वहीं.
मालिक के जगने पर शेरू,
उसको लेकर वहीं चला,
जहां छिपाया माल चओ ने,
कुत्ता था वो बहुत भला.
धरती खोद सामान निकाला,
रामचंद्र हैरान हुआ,
स्वामिभक्त कुत्ते को मालिक,
करके प्यार निहाल हुआ.