बाल कविता

काव्यमय कथा-2 : स्वामिभक्त कुत्ता

भौं-भौं भौंका शेरू कुत्ता,
रामचंद्र नहीं जाग सका,
गठरी बांध चोर ले भागा,
शेरू फिर भी नहीं रुका.

गठरी एक गड्ढे में रखकर,
चोर चल दिया और कहीं,
शेरू ने निशान बनाए,
अपने पंजे गाड़ वहीं.

मालिक के जगने पर शेरू,
उसको लेकर वहीं चला,
जहां छिपाया माल चओ ने,
कुत्ता था वो बहुत भला.

धरती खोद सामान निकाला,
रामचंद्र हैरान हुआ,
स्वामिभक्त कुत्ते को मालिक,
करके प्यार निहाल हुआ.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244