मुक्तक/दोहा मुक्तक कामनी गुप्ता 04/05/201704/05/2017 आँखों से आंसुओं को अब बह जाने दो ख्वाबों का वो झूठा खंड्हर ढह जाने दो कब तलक ठहरे रहोगे अतीत में यूंही ज़िन्दगी में आगे बड़ो बाकि रह जाने दो! कामनी गुप्ता *** जम्मू !