गीत/नवगीत

गीत : ये जो ज़िंदगी की किताब है

ये जो ज़िंदगी की किताब है,
ये किताब भी क्या किताब है,
कहीं सदियों का भी ज़िकर नहीं,
कहीं लम्हों तक का हिसाब है,

ये जो ज़िंदगी की किताब है,

कहीं इश्क तो कहीं दिल्लगी,
कहीं जाम और कहीं तिश्नगी,
है हज़ार कमियां लिए हुए,
बेहद मगर लाजवाब है,

ये जो ज़िंदगी की किताब है,

किसी को खुशी की तलाश है,
कोई बेवजह ही उदास है,
कहीं कहकहों का है शोरगुल,
कहीं आँसुओं का सैलाब है,

ये जो ज़िंदगी की किताब है,

नहीं मिला उसका गम नहीं,
जो मिला है वो भी तो कम नहीं,
नहीं इससे कोई गिला मुझे,
ना ही अच्छी ना ही खराब है,

ये जो ज़िंदगी की किताब है,

कभी दो घड़ी मेरी बात सुन,
कभी देख मेरी उधेड़बुन,
मुश्किल है लेकिन हसीन है,
काँटों में खिलता गुलाब है,

ये जो ज़िंदगी की किताब है,

आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- rajivmalhotra73@gmail.com