फूल-ही-फूल
फूल हैं खिलते रंग-बिरंगे,
मौसम होता है जब अच्छा,
दिल सबका खुश होता देख के,
लाल गुलाब का प्यारा गुच्छा.
कितने ही हों फूल यहां पर,
चम्पा भी हो और चमेली,
पर गुलाब के खिल जाने से,
महक लुटाती नई हवेली.
लाल-गुलाबी-नीले-पीले,
ये गुलाब के फूल रंगीले,
उपवन में खिलते-मुस्काते,
भौंरे इन पर गाना गाते.
बच्चे भी हैं फूलों जैसे,
सुंदर, कोमल और महकीले,
आओ इनसे प्रीत निभाएं,
हम भी हो जाएं सपनीले.
बाल कविता अछि लगी लीला बहन .
प्रेम सच्चा हो तो प्रेम की बगिया कभी मुरझाती नहीं,
प्रेम कच्चा हो तो प्रेम की बगिया कभी लहराती नहीं.