बाल कविता

बाल कथा गीत – बड़ा या तेज

एक पेड़ के नीचे बैठा,
हाथी था एक बहुत बड़ा,
उसे सोच में बैठा देखकर,
बंदर झट से बोल पड़ा.

”सोच रहे हो क्या तुम भाई?”
हाथी बोला- ”कौन बड़ा?
सोच रहा मैं बहुत अच्छा है,
बड़ा और बलवान होना.”

बंदर बोला- ”हां-हां भाई,
बड़ा होना तो अच्छा है,
तेज होना तो और भी अच्छा,
कहा बड़ों का सच्चा है.”

हाथी बोला- ”तेज होने से,
बड़ा होना अधिक अच्छा,
बड़ा काम बड़े कर सकता,
हो सकता वह वीर सच्चा.”

बंदर बोला- ”ठीक नहीं यह,
तेज होना ही अच्छा है,
तेज काम जल्दी कर सकता,
और तेज चल सकता है.”

भालू एक तभी आया और पूछा-
”क्या हो रहा कहो.”
हाथी बोला- ”बड़ा होना अच्छा है,
पर बंदर कहता तेज अहो.”

तनिक सोचकर भालू बोला,
”अच्छा मेरी बात सुनो,
पार नदी से फूल जो लाए,
उसे ही अच्छा सब मानो.”

पानी अधिक नदी में कैसे,
बंदर पार जा सके कहो,
हाथी बोला- ”मेरी मानो,
आओ मेरी पीठ पर चढ़ो.”

फूल बहुत ऊंचा था पेड़ पर,
बंदर चढ़कर ले आया,
”तेज होना अच्छा है” कहकर,
हाथी पर चढ़ पार आया.

भालू बोला- ”फूल तोड़कर,
लाया कौन बताओ तो.”
बंदर बोला ”मैं लाया हूं,
कौन अच्छा है बताओ तो?”

”लेकिन तुमको पार नदी के,
ले गया कौन बताओ जी?”
हाथी से यह बात जानकर,
भालू कुछ मुस्काया ही.

”अब तुम खुद ही मुझे बताओ,
बड़ा होना अच्छा या तेज?”
भालू बोला- ”खुद ही सोचो,
या कि बड़ा और फिर होना तेज.”

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “बाल कथा गीत – बड़ा या तेज

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बच्चों के लिए मनोरंजन बहुत अच्छा लगा लीला बहन .

  • लीला तिवानी

    भालू ने बड़ी चतुराई से हाथी और बंदर के विवाद का फैसला किया. हींग लगी न फिटकरी, रंग आए चोखा.

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