भूख
भूख
मेरी रचना “भूख” वाहवाही बटोर रही थी। बधाई देने के लिए लोगों का तांता लगा था।
“कमाल की रचनाकार हो आप। सरल शब्दों में कैसे गरीब का दुख बयां कर देती हो?” वाहवाही करते हुए वे बोले।
“आसपास के गरीबों का दुख, जब हृदय को झनकोर देता है, उसे पन्नों पर उकेर देती हूं।” मैंने इतरा हुए कहा।
“और… उसे दूर करने के लिए आप क्या करतीं हैं?”, उत्सुकता से उन्होंने पूछा ।
अब मैं निरुत्तर थी ।
अंजु गुप्ता