कुण्डली/छंद

वृद्धाश्रम

जीवन के इस मोड़ में, यादें ही अब शेष

बेटा बेटी छोड़ के, चले गए परदेश
चले गए परदेश, जरा भी याद न आई
वृद्धाश्रम में बैठ, आँख माँ की भर आई
चले चक्षु चलचित्र, मनस होता उद्दीपन
भूली बिसरी याद, यही माता का जीवन

छाती में रख पत्र को, वृद्धाश्रम में मात
थाती बस इतनी बची, बहे नयन दिन रात
बहे नयन दिन रात, याद पुत्रों को करती
ताके सूनी राह, आह पल-पल वह भरती
कह अनंत कविराय, स्वयं को वह बहलाती
परिजन को कर याद, हूकती माँ की छाती

 

अनंत पुरोहित ‘अनंत’

अनंत पुरोहित 'अनंत'

*पिता* ~ श्री बी आर पुरोहित *माता* ~ श्रीमती जाह्नवी पुरोहित *जन्म व जन्मस्थान* ~ 28.07.1981 ग्रा खटखटी, पोस्ट बसना जि. महासमुंद (छ.ग.) - 493554 *शिक्षा* ~ बीई (मैकेनिकल) *संप्रति* ~ जनरल मैनेजर (पाॅवर प्लांट, ड्रोलिया इलेक्ट्रोस्टील्स प्रा लि) *लेखन विधा* ~ कहानी, नवगीत, हाइकु, आलेख, छंद *प्रकाशित पुस्तकें* ~ 'ये कुण्डलियाँ बोलती हैं' (साझा कुण्डलियाँ संग्रह) *प्राप्त सम्मान* ~ नवीन कदम की ओर से श्रेष्ठ लघुकथा का सम्मान *संपर्क सूत्र* ~ 8602374011, 7999190954 anant28in@gmail.com